1.भूलने वाली सारी बातें याद है इसीलिए तो जिंदगी में विवाद है
नमस्ते दोस्तों
ये दो भाइयों की कहानी है जिनके बीच में बहुत प्रेम था, दोनों भाइयों की शादियाँ हो गयी उसके बाद भी प्रेम कम नहीं हुआ, मनमुटाव नहीं हुआ, सब कुछ अच्छा चलता रहा कोई मतभेद नहीं, कोई मनभेद नहीं यदि बड़ा भाई बिज़नेस के सिलसिले में कहीं बाहर जाता है तो सबके लिए गिफ्ट लेके आता है, छोटा भाई जाता है तो वह भी सबके लिए गिफ्ट लेके आता और एक–दूसरे के नहीं होने पर घर का खयाल रखते थे सब कुछ अच्छा चल रहा था बहुत अच्छा तालमेल था लेकिन
एक दिन किसी छोटी बात पर झगड़ा हो गया और छोटे भाई ने बड़े भाई को उल्टा सीधा कह दिया और सम्मान की दहलीज़ को भी लांग दिया, बड़े भाई को लगा कि यह क्या हो गया
उस दिन के बाद दोनों भाई अलग हो गए, अलग अलग मकान में रहने लगे, बोलचाल बंद हो गई, कभी कॉल नहीं अगर किसी फंक्शन में टकराना भी होता था तो नज़रें चुरा के निकल जाते थे मार्केट में कहीं दिख गए तो इग्नोर करके निकल जाते थे।ऐसा हो गया जैसे दोनों भाई थे ही नहीं।
बहुत साल बीत गए छोटे वाले भाई की जो बेटी थी उसकी शादी की तारीख फिक्स हो गई
विवाह की तारीख थी रिश्ता तय हो चुका था तो छोटे भाई को लगा कि इतने सालों से बोलचाल बंद है लेकिन अब तो भाई साहब को बुला ही लेना चाहिए।
वो गया, बड़े भाई के घर जा करके क्षमा मांगी, पैरों में गिर गया माफी मांगते–मांगते रोने लगा कि मुझसे गलती हो गयी थी, मुझे वो सब नहीं कहना चाहिए था मैंने उल्टा सीधा कह दिया था अब तो आप माफ़ कर दो और चलो बिटिया की शादी है आपको ही ये सारा काम संभालना है आप घर के बड़े है आपके आशीर्वाद के बिना समारोह हो नहीं पायेगा
बहुत कुछ कह रहा था लेकिन बड़े भाई ने कोई रिएक्शन नहीं दिया बड़े भाई को अभी भी गुस्सा था उसको लगा की शायद ढोंग कर रहा है, नाटक कर रहा है, ड्रामा कर रहा है बड़े भाई ने कोई उत्तर ही नहीं दिया छोटा भाई वहाँ से चला आया अब रिश्ता तय हो चुका था, शादी तो करनी थी, तारीख भी आने वाली थी
दोनों भाई के बीच में एक बात कॉमन थी कि ये दोनों एक महात्मा के यहाँ पर ये जाते थे, उनको मानते थे, उनका प्रवचन सुनने जाते थे
छोटा भाई गया, प्रवचन सुना उसके बाद में उनको धोक लगाई तो महात्मा जी समझ गए कि मेरा भक्त आज थोड़ा–सा उदास है उन्होंने पूछा क्या हुआ? तो छोटे वाले भाई ने बताया कि बेटी का रिश्ता तय हो गया, शादी की तारीख डिसाइड हो गयी है
लेकिन बड़े भाई साहब से मेरा मनमुटाव हो गया था आज से आठ दस साल पहले और किसी छोटी बात पर झगड़ा हो गया था और वो गुस्सा हो गए, नाराज हो गए तब से हम अलग रहते हैं बोलचाल बंद हो गई है और अब घर में फंक्शन है इतने सालों बाद कोई शादी होने जा रही है
मैंने उन्हें कहा आइये लेकिन आने को तैयार नहीं है बोल भी नहीं रहे जवाब भी नहीं दे रहे हैं मैंने उन्हें कहा सारा काम संभालिए कुछ भी नहीं कह रहे हैं
शादी तो हो जाएगी लेकिन बेमन से होगी मुझे अच्छा लग ही नहीं रहा है पर क्या करूँ?
ऐसा बोल के वो चला गया बाबा जी ने कहा कोई बात नहीं, ऊपर वाला सब ठीक करेगा।
अगले दिन बड़ा भाई पहुंचा प्रवचन में, प्रवचन सुना उसके बाद में महात्मा जी को धोक लगाई महात्मा जी ने पूछा कि तुम्हारे छोटे भाई की बेटी की शादी है, सुना है तुम भी जा रहे हो क्या क्या काम संभाल रहे हो?
तो बड़े भाई ने जब ये सुना तो वह सकपका गया उसने कहा कि शादी तो तय हुई है लेकिन वो अंदर से भरा बैठा था उसने सारी बात सारा गुस्सा निकाल दिया कि छोटा भाई ऐसा है, वैसा है उसे तमीज़ नहीं है बात करने की इतना मैंने खयाल रखा, इतना लाड़ प्यार दिया एक दिन उसने ये सब कह दिया आठ दस साल पुरानी पूरी की पूरी बात उसने रिपीट कर दी
महात्माजी ने कहा अच्छा ठीक है, तुम्हारा गुस्सा शांत करो और ये बताओ कि कल जब तुम प्रवचन में आये थे तो मैंने क्या कहा था?
बड़े भाई ने दिमाग पर ज़ोर डाला लेकिन उसे एक दिन पहले का प्रवचन याद नहीं आ रहा था तो महात्मा जी ने कहा कल मैंने एक अच्छी बात बताई वो तुम एक दिन में भूल गए लेकिन जो बात दस साल पहले हुई है वो तुम्हें शब्द, एक–एक शब्द अक्षरशः याद है। दस साल पुरानी बात वैसी की वैसी याद कर रखी है लेकिन कल का अच्छा प्रवचन भूल गए
अगर ऐसे ही पुरानी बातों को पकड़ के रखोगे तो जीवन भर दुखी रहोगे, उदास रहोगे, पछताते रहोगे और कुछ नहीं मिलेगा महात्मा जी की बात बड़े भाई को समझ में आ गई ।
वह छोटे भाई के पास गया और उसने छोटे भाई से मुस्कुराकर कहा कि शादी का सारा काम संभाल लूँगा।
ये कहानी जो समझाती कि हमें अच्छी बातों को याद रखना चाहिए और बुरी बातें को जितना जल्दी हो सके भुला देना चाहिए क्योंकि यही जीवन का सार है भूलने वाली बातें याद रखेंगे तो जीवन भर विवाद करते रहेंगे।
2. मनुष्य की खूबसूरती
एक बार एक आदमी था वह मेले में गुब्बारे बेचा करता था और उससे जो भी कमाई होती थी उससे वो अपना घर चलाता था उसके पास लाल, पीले, नीले, हरे रंग के गुब्बारे थे जब भी उसकी बिक्री कम होने लगती तब वह एक गुब्बारे में हीलियम गैस भरकर उस गुब्बारे को हवा में उड़ा देता था जब बच्चे उसका गुब्बारा उड़ता हुआ देखते हैं तब सारे बच्चे उस गुब्बारे को देखकर उसके पास दौड़ के गुब्बारे खरीदने के लिए चले आते ।
जब भी कभी उसकी बिक्री कम होती थी तब वह अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए यही तरीका अपनाता था
एक बार जब वह गुब्बारों को बेच रहा था तब उसने देखा कि कोई उसका कुर्ता खींच रहा है उसने पलट कर देखा तो वहाँ पर एक बच्चा खड़ा हुआ था तब बच्चे ने उससे पूछा कि अंकल अगर आप काले गुब्बारे में हवा भरकर उसे छोड़ दे तो क्या वह भी आसमान में उड़ने लगेगा ?
बच्चे के इस सवाल ने गुब्बारे वाले के मन को छू लिया तब गुब्बारे वाले ने बच्चे को जवाब दिया बेटा यह गुब्बारा अपने रंग की वजह से नहीं बल्कि इसके अंदर जो चीज़ भरी है उसकी वजह से उड़ रहा है बाहर गुब्बारे का क्या रंग है वह मायने नहीं रखता है उसके अंदर क्या है यह मायने रखता है ।
उसी प्रकार हमारे अंदर का ऐटिट्यूड, हमारा बिहेवियर, हमारी क्वालिटी यही मायने रखते हैं और यही मनुष्य की सच्ची खूबसूरती होती है इसलिए इन्हीं गुणों से हम सफलता की सीढ़ियों पर आगे बढ़ते जाते हैं हमारा रंगरूप हमारा ऊपरी दिखावा, यह मायने नहीं रखता है।
0 Comments